मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

भारतीय कला मंच की शुरुआत उन दिनों हुई थी जब शेरघाटी में नाट्य और कला का उद्ब्हब तो हो गया था,पर पर नहीं निकले थे. जमाना था, बाई जी के नाच ka . मंच सजा तो सुरु हो जाती थीं की बाई जी कहाँ की है. कहाँ से आई है .कितनी है. कितने पैसे  में आई है. बिन्देश्वरी  सिंह   शरीखे कलाकारों ने धुनी रमाई थी. शेरघाटी में कला यूँ बेजार नहीं हो सकती. एक मंच बनाया गया. नाम क्या हो. बड़ी असमंजश की अस्थिति हुई . बकील साहब ने नाम सुझाया. कहा नाम इंग्लिश में हो तो दमदार लगेगी कहा इंडियन आर्ट स्टेज . नाम जाँच गया . विजय दत्त जी को नाम तो पसंद आया पर अंग्रेजी के बज़ह से  तय नहीं कर पा रहे थे. तपन जी ने आईडिया सुझाया नाम को अगर हिंदी में रूपांतरण कर दे तो  कैसा रहेगा. तो क्या नाम बनेगा????????? नाम रूपांतरित हुआ  भारतीय कला मंच .
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